This is probably Talat sabab's most famous number from Jahan Ara. One of my favorites when it comes to TM and Madan Mohan combo. Beautiful Urdu lyrics by Rajender Krishan make the song more meaningful.
(फिर वोही शाम वोही घम वोही तन्हाई है
दील को समझाने तेरी याद चली आयी है) (२)
फिर वोही शाम
दील तस्सवूर तेरे पेहलू में बिठा जाएगा (२)
फिर गया वक़्त घड़ी भर को पलट आएगा
दील बहल जाएगा आख़िर को तो सौदा ही है
फिर वोही शाम वोही घम वोही तन्हाई है
दील को समझाने तेरी याद चली आयी है
फिर वोही शाम
जाने अब तुझसे मुलाक़ात कभी हो के ना हो (२)
जो अधूरी रही वोह बात कभी हो के ना हो
मेरी मंज़िल तेरी मंज़िल से बिछड़ आयी है
फिर वोही शाम वोही घम वोही तन्हाई है
दील को समझाने तेरी याद चली आयी है
फिर वोही शाम
Movie: Jahan Ara (1964)
Music Director: Madan Mohan
Singer: Talat Mahmood
Lyrics: Rajendar Krishan
Picturized on: Bharat Bhushan, Mala Sinha
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