कभी खामोश बैठोगे कभी कुछ गुन-गुनाओगे (२)
में उतना याद आऊँगा मुझे जितना भुलाओगे
कभी खामोश बैठोगे कभी कुछ गुन-गुनाओगे
कोई जब पूछ बैठेगा खामोशी का सबब तुमसे (२)
बहोत समझाना चाहोगे मगर समझा न पाओगे
में उतना याद आऊँगा मुझे जितना भुलाओगे
कभी खामोश बैठोगे कभी कुछ गुन-गुनाओगे
कभी दुनिया मुक्कम्मल बनके आएगी निगाहों में (२)
कभी मेरी कमी दुनिया की हर एक शय में पाओगे
में उतना याद आऊँगा मुझे जितना भुलाओगे
कभी खामोश बैठोगे कभी कुछ गुन-गुनाओगे
कहीं पर भी रहे हम तुम मोहब्बत फिर मोहब्बत है (२)
तुम्हे हम याद आयेंगे हमे तुम याद आओगे (२)
कभी खामोश बैठोगे कभी कुछ गुन-गुनाओगे
में उतना याद आऊँगा मुझे जितना भुलाओगे
कभी खामोश बैठोगे कभी कुछ गुन-गुनाओगे
Album: Love is Blind
Singer: Jagjit Singh
Link: http://www.youtube.com/watch?v=PTzEipQXh00
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