Quite a few Hindi songs that have at least one stanza, usually the last one, that has different tune than the rest of the song. I seem to adore such songs, specially when the lyrics are so meaningful and the music touches your heart. Here the lyricist has put the feelings in words that can't be
described in any other way. Lataji's magical voice is so divine! Listening to this song renders me speechless.
हों... हों...
दूरी...
दूरी ना रहे कोई आज इतने करीब आओ (२)
मैं तुम में समां जौ, तुम मुझ में समां जाओ (२)
दूरी ना रहे कोई आज इतने करीब आओ
मैं तुम में समां जाऊ, तुम मुझ में समां जाओ
(music)
(साँसों की हरारत से तन्हाई पिघल जाये
जलते हुए होंठों का अरमान निकल जाये) (२)
अरमान निकल जाये
चाहत की घटा बनकर यूँ मुझ पे बरस जाओ
मैं तुम में समां जाऊ, तुम मुझ में समां जाओ (२)
(upbeat music)
This is so fantastic! takes you out of this world. *goosebumps*
Notice how this next stanza begins with totally different tune than "saanson
ki haraarat..." stanza.
बात ना थी अब से पहले कभी जीने में
येह बात ना थी अब से पहले कभी जीने में
दिल बन के धड़कते हो तुम ही मेरे सीने में
कभी साथ ना छोड़ोगे तुम मेरी क़सम खाओ
मैं तुम में समां जाऊ, तुम मुझ में समां जाओ
दूरी ना रहे कोई आज इतने करीब आओ
मैं तुम में समां जाऊ, तुम मुझ में समां जाओ (२)
Movie: Kartavya (1979)
Singer: Lata Mangeshkar
Music Director: Laxmikant Pyarelal
Lyrics: Kafeel Aazar
Picturized on: Rekha, Dharmendra
Youtube link with original audio: http://www.youtube.com/watch?v=F8CgmST7gAE
1 comment:
सच! लय, बोल - सबकुछ मनभावन है!
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